SOB

गम सा पुराना दोस्त आखिर बिछड़ गया


इस पर भी दुश्मनों का कहीं साया पड़ गया 
इस पर भी दुश्मनों का कहीं साया पड़ गया ,
गम साफ पुराना दोस्त भी आखिर बिछड़ गया | 

जी चाहता तो बैठते यादों की छांव में
जी चाहता तो बैठते यादों की छांव में
ऐसा घना दरख्त भी जड़ से उखड़ गया | 

 बस इतनी बात थी कि आयादत्त के आये  लोग
बस इतनी बात थी कि आयादत्त के आये  लोग,
 दिल के हर एक जख्म का टांका उखड़ गया | 

 यारों ने क्या खूब ज़माने से सुलह  कि
यारों ने क्या खूब ज़माने से सुलह  कि,
 मैं  ऐसा बददिमाग  के यहां भी पिछड़ गया | 

 कुताहीयों  कि अपने ताविल  क्या करूं
कुताहीयों  कि अपने ताविल  क्या करूं,
 मेरा हर एक खेल मुझसे बिगड़ गया

 अब क्या बताऊं क्या था ख्यालों के शहर में 
अब क्या बताऊं क्या था ख्यालों के शहर में ,
 बसने से पहले वक्त के हाथों उजड़ गया 
बसने से पहले वक्त के हाथों उजड़ गया | 



2

बांसुरी पर मौत की गाते रहे नगमां  तारा
बांसुरी पर मौत की गाते रहे नगमां  तारा,
 ए जिंदगी ए जिंदगी रुतबा रहा बाला तेरा | 

 अपना मुकद्दर था यही या मनबय आसूदगी
अपना मुकद्दर था यही या मनबय आसूदगी,
 बस तिष्णगी बस तिष्णगी गो पास था दरिया तेरा |

 इस गाम से इस गाम तक जंजीर जंजीर गम के फासले 
इस गाम से इस गाम तक जंजीर जंजीर गम के फासले ,
 मंजिल तो क्या हमको मिले चलता रहा रस्ता तेरा | 

 तू कौन था क्या नाम था तुझसे हमें क्या काम था
तू कौन था क्या नाम था तुझसे हमें क्या काम था,
 हर परदा दिल पर अभी धुंधला सा एक चेहरा तेरा
 हर पर्दा दिल पर अभी धुंधला सा एक चेहरा तेरा |


सूरज है गो नामेहरबान है सर पर नीला सायबां 
ये  आसमां ये  आसमां दायम रहे साया तेरा
ये  आसमां ये  आसमां दायम रहे साया तेरा


12वीं क्लास की शायरी खलीलुर रहमान आदमी की लिखी हुई है,  जो आजमगढ़ के  सुल्तानपुर में 9 अगस्त को पैदा हुए ,  इन्होंने बहुत सारे शायरियां लिखी , किताबें लिखी ,  नज्में लिखें ,  जिसमें से नया अहदनामा 1965 गाजी आसमा  इब्ने इंशा के उस्ताद थे खलील नासिर आज भी इनके उस्ताद   थे 

इन्होंने यह शायरी लिखी है , और इस शायरी में उन्होंने कहा है कि उनका जो गम दोस्त था ,  उस पर भी किसी की नजर लग गई ,  और वह भी गम जुदा बिछड़ गया
 उनका मन करता है कि पेड़ की छांव में बैठे हैं और उनका जो वह साया  देने वाला था वह भी उजड़  गया

 कुछ लोग उनका हाल पूछने आए ,और उनके दिलों पर जख्म देकर चले |   उनसे गलती हुई है वह अपना कैसे हो गया करें उनका जो भी खेलता  उन्होंने जो भी सोचा था उनसे ही बिगड़ गया 

इस शायरी में कहना चाहते हैं और कहते हैं कि अब क्या बताएं क्या था मेरे ख्यालों के शहर में 
बहुत सारे हमारे ख्याल थे पर बसने से पहले वक्त के हाथों उजड़ गया
 मैं जो भी अरमान थे वह मेरा शहर बसने से पहले ख्यालों की दुनिया बसने से पहले उजड़ गया

मेरे पास दरिया था फिर भी हम प्यासे रह गए मेरे हर मंजिल पर एक ही कदम का फासला था
 जिसमें से लगा हुआ था मंजिल तो हमको नहीं मिली बस मेरा रास्ता चलता रहा रास्ता मेरा 

कहा कि खलील कौन है तुम्हारा नाम क्या है? तुझसे किसी को क्या काम है? सबके दिल पर अभी जो एक चेहरा तेरा रहेगा तेरे जाने के बाद अभी तुझे कोई नहीं पूछते पर तेरे जाने के बाद ज़माना तुझे पूछेगा सूरज है जो ना मेहरबां है सर पर नीला उसके साहिबा नी यहां पर अल्लाह से दुआ करते हैं आसमा आसमा तेरा नी तेरा मुझ पर हमेशा इस छोटी सी शायरी में जिंदगी की सारे हालात बयान किए हैं

ग़ालिब भी बेहतरीन शायर थे उन्हें भी तंगी और इश्क में जैसे-तैसे जीना पड़ा वह भी इश्किया शायरी करते थे जितनी भी शायर पैदा हुए सभी ने इश्क में जा वतन का इश्क हो या सनम का इश्क शायरियां कहीं और दिल पर सबके छाप छोड़े गए आज भी वह इस दुनिया में नहीं है पर हमारे दिलों में जिंदा है खलीलुल्लाह मानस में भी अपनी शायरी की बदौलत आज हमारे दिल में एक छोटी सी जगह एक बहुत बड़ी जगह बना चुके हैं इनकी शायरी कैसी लगी हमें भी बताएं और शायरी जाने वाली शायरी शायरी
Previous
Next Post »