उसने मुझे बस यूं ही देखकर दिल में अपने बसा लिया था
मैं उसे कभी ना समझ सका, पर आज भी ऐसा लगता है ,
कि उसके पास जाकर ,
अपने गुनाहों की माफी मांग
अपने सारे जज्बात, सारे हालात
सारे वफात उसको बताऊँ
उसकी सच्ची चाहत ने,
जैसे मुझे जीना सिखा दिया।
उसकी दुआओं ने जैसे मुझे इंसान बना दिया ।
उसकी मोहब्बत ने मुझे एक वफा सिखा दिया।
और सच्ची चाहत क्या होती है,
यह मुझे ना बोलकर भी सिखा दिया ।
यह तो वही वाली बात हो गई कि ,
हम उम्मीदों की दुनियां बसाते रहे ,
आप पल पल हमें आजमाते रहे ,
इश्क में जब मरने का वक्त आया,
हम मर गए और आप मुस्कुराते रहें।
बात उन दिनों की है जब तीसरी क्लास में पढ़ा करते थे
मैंने उसे पहली बार देखा था मैं पश्चिम बंगाल से बिहार पहली बार यहां आया था ,और हमें स्कूल में अपना नामांकन करवाया था वह मेरे पास आई और मेरे बगल में आकर बैठगई मैं उस वक्त कुछ ना बोला ,फिर रोज मेरे बगल में आकर बैठ जाती है और मैं उसके बगल से हटकर दूसरी ओर चला जाता वह फिर मेरे पास आकर बैठ जाती और मैं फिर से हटके दूसरी ओर चल जाता वह मुझे हमेशा परेशान करती थी और मैं उसे कुछ ना कहा था ,
कुछ भी ना बोलता था,
वह और उसके दोस्त सब मुझे परेशान किया करते थे,
फिर भी मैं कुछ ना बोला करता था ,
और वह मुस्कुरा कर रहजाती वह हमेशा इंतजार करती कब सुबह हो,
कब स्कूल जाएं,
अब मुझसे मुलाकात हो,
इश्क दो पल का बस शायरी बन गई,,,,,,,,
आज बहुत याद आती है,
कभी वह मुझे परेशान करती,
मुझे कुछ खाने को देती ,
हमेशा मेरा ख्याल रखने की कोशिश करती,
मुझे जीतने की कोशिश करती
मेरे साथ खेलना मुझे चीढ़ाना
बार-बार परेशान करना
मेरे साथ प्राइमरी स्कूल में बैठकर खाना खाना
मेरे घर पर आना झूठ बोलकर मेरे घर से मुझे ले जाना
अकेले में बुलाना
फिर भी मैं उसकी जज्बातों को समझ नहीं पाता था ।
उसके अंदर दिल की बातों को समझ नहीं पाता था ।
और अगर समझता था तो मैं बहुत डरपोक था।
इश्क की बातें शायद मेरे समझ से उस वक्त बाहर थी।
वह बहुत कोशिश की मेरे लिए बहुत कोशिश किया,
कि मुझे जीत ले पर मैं उसे आजमाता गया
कुछ ऐसे रातें गुजारी जो उसके साथ साथ गुजरी,
बहुत करीब ना सही पर करीब था ।
मैं उसके वह बचपन की एक खूबसूरत उन लम्हों का इंतजार करता हूं
,पर वह आज लम्हें आती ही नहीं
मैं कितना भी कोशिश करो पर मैं उन लम्हों को वापस नहीं ला सकता
काश मैं उन लम्हों को जीत पाता।
वक्त गुजरता गया ,वो परेशान मुझे करते रहे ,
और लास्ट जब स्कूल की छुट्टियों का दिन आया।
और हम स्कूल से निकलने वाले थे,
तो उसने हार कर एक मेरे गाना गाया सबके सामने
और वह गाना मेरे दिल में घर कर गया ,वह गाना था
दिल के अरमां आंसुओं में बह गए हम वफा करके भी तंहा रह गए
दिल के अरमां आंसुओं में बह गए हम वफा करके भी तंहा रह गए
मैं तो उसके जज्बातों को समझ ना सका ,
पर हां मैंने भी उसके लिए गायक गाना गया
उसके लिए ना सही पर गाना गाया
उस गाने का उस वक्त मतलब नहीं मालूम था
चली गई जान मेरी देखता मै रह गयार मेरा पलकों से आंसू बनकर बह गया
चली गई जान मेरी देखता मै रह गयार मेरा पलकों से आंसू बनकर बह गया
उसकी वफ़ा उस वक्त ही पूरी हो चुकी थी
कि दिल के अरमां आंसुओं में बह गए ,
पर आज जो मैंने वह पहले गाना गाया था आज वह जाकर पूरा हुआ है
और आज जब मुझे उसकी जरूरत है तो वह मेरे पास नहीं है
आज मैं बहुत जब अकेला हूं वह मेरे साथ नहीं है मुझसे बहुत बड़ी गलती।,,,,,,,,,,,,,,
पर मैं शायद उस गलती को सुधार हूं
हां अगर आपको कभी इश्क करने का मौका मिले तो कभी आप जो चूकियेगा मत
और हां उसकी इज्जत कीजिएगा
वरना यह जिंदगी है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वह अपने आखिरी दिनों की बात है वह अपने कुछ दोस्तों के साथ आए
और शेर कहने लगी
चांदनी चांद से होती है सितारों से नहीं
मोहब्बत एक से होती है हजारों से नहीं
मैं डर गया मैं अकेला था और मैं कुछ भी ना उस वक्त बोल सका
फिर वह बोली तुम अगले स्कूल में जाओगे तो तुम्हें एक से एक लड़का मिलेगा
एक से एक लड़की मिलेगी
उसके दोस्तों ने कहा और वह प्यार से मुस्कुरा रही थी और मैं यहां से भाग गया
मैं बहुत डरपोक था जो भी होता अपनी मां को कह देता
और मम्मी ने उसे बहुत डांटा
उसने कोशिश की उसने मुझे लेटर लिख कर दिया और मैं बेवकूफ मैं नादान को मैम को दे दिया
उसने मेरी वजह से मार खाई आज इन बातों को याद करके तकलीफ होती है
कि काश उस वक्त उस वक्त बात सच्ची चाहत और मोहब्बत जानने की समझ होती तो मैं कभी भी उसको खुद से दूर जाने नहीं देता वक्त गुजरा हम प्राइमरी स्कूल से निकलकर मिडिल स्कूल की तरफ जा चुके वहां भी उसने उस वक्त से उसने बहुत कोशिश है कि मुझे अपना बनाने कि मैं उसके घर के तरफ खेलने जाता और वह मुझे देखती वह मुझे दुआओं में मांगा करती थी पर मैं उसे मिल ना सका और अब मैं उसे दुआओं में मांगता हूं तो अब मेरे नसीब में नहीं है
वहां वॉलीबॉल खेलने जाता था वह अपनी छत पर खड़ी होकर मुझे इशारा करती थी
बहुत खुश रहती थी, सिर्फ मुझे देखकर।,और मैं उसे जरा सा भी अब खुशी ना दे सका. वक्त ने इतना मारा
,वक्त इतना बदला,
मैं खुद से बहुत ही कमजोर हो चुका हूं। और अब उसके पास जाने की हिम्मत नहीं है।
उससे बहुत सताया है मैंने उसे बहुत मारता था मैं बहुत पीटा था मैं और वह लेती थी कुछ ना कहती थी काश ऐसी मोहब्बत करने वाला इंसान दोबारा में देख पाता उसके मुकाबले सा इंसान मैं दोबारा देख पाता उस जैसा चाहने वाला इंसान काश मैं दोबारा देख पाता
जैसा परेशान करने वाला वैसे मुस्कुराने वाले इंसान
काश मैं दोबारा देख पाता
मेरी हसरतें तो पूरी नहीं हुई ,पर
हां बहुत कुछ सिखा कर चली गई
वह चली गई चली गई वह बिन कुछ कहे
बहुत कुछ बताकर चली गई वह बिन कुछ कहे
और तो और बहुत तड़पाएगी चली गई वह बिन कुछ कहे
थोड़ा सा जगा कर चली गई वह बिन कुछ कहे
थोड़ा मिटा कर चली गई वह बिन कुछ कहे
थोड़ा रुला कर चली गई वह बिन कुछ कहे
थोड़ा जला कर चली गई वह बिन कुछ कहे
मुझे भी आजमा कर चली गई वह बिन कुछ कहे
खुद को भी आजमा लिया उसने बिन कुछ कहे
यही नसीब है यह मान लिया बिन कुछ कहे
जो उसने उसने सोचा यह खाता है
और वह चली गई दिल खुश करके
जो नसीब में था उसे मान लिया
और वह लौट कर ना आई बिन कुछ कहे
जज्बातों को दबा कर चली गई वह बिन कुछ कहे
थोड़े गिला गिला कर गई हो हमसे बिन कुछ कहे
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